The Trees

8.

The Trees

Adrienne Rich


The trees inside are moving out into the forest.
the forest that was empty all these days
where no bird could sit
no insect hide
no sun bury its feet in shadow
the forest that was empty all these nights
will be full of trees by morning.

जो पेड़ अन्दर की तरफ थे वे बाहर जंगल में खिसक रहे हैं । वह जंगल जो इतने दिनों से खाली था , जहां पर कोई पक्षी नहीं बैठ सकता था , कोई कीड़ा ( कीट ) नहीं छिप सकता था , कोई सूर्य अपने ( किरणों रूपी ) पैर छाया में नहीं छिपा सकता था , वह जंगल इन सभी रातों को खाली था , सुबह तक पेड़ों से भर जायेगा ।

All night the roots work
to disengage themselves from the cracks
in the veranda floor.
The leaves strain toward the glass
small twigs stiff with exertion
long-cramped boughs shuffling under the roof
like newly discharged patients
half-dazed, moving
to the clinic doors.

सारी रात जड़ें बरामदे के फर्श की दरारों से स्वयं को मुक्त कराने का कार्य करती हैं । पत्तियाँ शीशे की तरफ दबाव डालती हैं । छोटी टहनियाँ अधिक प्रयास के कारण ऐंठ जाती हैं । लम्बी - तंग शाखाएँ छत के नीचे रगड़ खाकर ऐसी हो गई है मानो जैसे क्लीनिक के दरवाजों से बाहर आते हुए अभी - अभी छुट्टी हुए कुछ - कुछ भौंचक्के मरीज हों ।

I sit inside, doors open to the veranda
writing long letters
in which I scarcely mention the departure
of the forest from the house.
The night is fresh, the whole moon shines
in a sky still open
the smell of leaves and lichen
still reaches like a voice into the rooms.

कवयित्री कहती है कि मैं बरामदे की ओर खुलने वाले दरवाजों को खुला रखकर अन्दर बैठी हुई हूँ , ( और ) लम्बे - लम्बे पत्र लिख रही हूँ जिनमें मैं मुश्किल से ही घर से जंगल के प्रस्थान की चर्चा करती हूँ । रात्रि एकदम साफ है और पूरा चन्द्रमा अब भी खुले आकाश में चमक रहा है । एक आवाज की भाँति पत्तियों व शैवाल ( काई ) की महक कमरों में पहुंच रही है ।

My head is full of whispers
which tomorrow will be silent,
Listen. The glass is breaking.
The trees are stumbling forward
into the night. Winds rush to meet them.
The moon is broken like a mirror,
its pieces flash now in the crown
of the tallest oak.

कवयित्री कहती है मेरा सिर उन फुसफुसाहटों से भरा हुआ है जो कल शान्त हो जायेंगी । सुनो शीशा टूट रहा है । रात में पेड़ लड़खड़ाते हुए आगे जा रहे हैं । हवाएं उनसे मिलने के लिए तेजी से चल रही हैं । सबसे ऊँचे बलूत के वृक्ष के बीच में चमकता हुआ चाँद शीशे की भाँति टूटा हुआ प्रतीत होता है । इसके टुकड़े अब सबसे लम्बे बलूत के पेड़ के ताज में चमक रहे हैं ।