Glimpses of India

7.

Glimpses of India



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I.

A Baker from Goa

Lucio Rodrigues



This is a pen-portrait of a traditional Goan village baker who still has an important place in his society.

Our elders are often heard reminiscing nostalgically bout those good old Portuguese days, the Portuguese and their famous loaves of bread. Those eaters of loaves might have vanished but the makers are still there. we still have amongst us the mixers, the moulders and those who bake the loaves. Those age-old, timetested furnaces still exist. The fire in the funaces has not yet been extinguished. The thud and jingle of the traditional baker's bamboo, heralding his arrival in the morning, can can still be heard in some places. May be the father is not alive but the son still carries on the family profession. These bakers are, eveen today, known as pader in Goa.

हिन्दी अनुवाद –

यह एक पारंपरिक गोआ के गाँव के एक बेकर का चित्रण है जिसका स्थान उसके समाज में आज भी महत्वपूर्ण है ।
हम अपने बड़े लोगों को प्रायः उन अच्छे पुर्तगाली दिनों को याद करते हुए सुनते हैं । जब वे पुर्तगाली और उनके प्रसिद्ध ब्रैड ( डबल रोटी ) के बंडलों के बारे में सोचते हैं । उन डबल रोटियों को खाने वाले लोग चाहे न रहे हों , लेकिन उनके निर्माता आज भी वहाँ हैं । हमारे बीच वे मिक्सचर , साँचे और वे रोटी सेकने वाले आज भी हैं । वे समय की कसौटी पर परखी हुई भट्ठियों आज भी अस्तित्व में हैं । उन भट्ठियों में आग आज भी हैं । वे अभी तक बुझी नहीं हैं । परम्परागत बेकर के बाँस की धमक और खनक उसके आगमन की सुबह - सुबह घोषणा करती हुई , कुछ स्थानों पर आज भी सुनी जा सकती हैं । हो सकता है पिता जीवित नहीं , पर बेटा अब भी पारिवारिक धंधे को जारी रखे हुए हैं । ये बेकर आज भी गोआ में पेडर के नाम से जाने जाते हैं ।

During our childhood in Goa, the baker used to be our frend, companion and guide. He used to come at least twice a day. Once, when he set out in the morning on hgis selling round, and then again, when he returned after emptying his huge basket, The jingling thud of his bamboo woke us up from sleep and we ran to meet and greet him. Why was it so? Was it for the love of the loaf? Not at all. The loaves were bought by some Paskine or Bastine, the maid-servant of the house! What we longed for were those bread-bangles which we chose carefully. Sometimes it was sweet bread of special make.

हिन्दी अनुवाद –

गोवा में हमारे बचपन के दौरान , बेकर हमारा दोस्त , साथी , और मार्गदर्शक हुआ करता था । वह दिन में कम से कम दो बार आया करता था । एक बार , उस समय वह बिक्री के लिए चक्कर लगाने के लिए सुबह निकलता था और फिर दुबारा , जब वह अपनी विशाल टोकरी को खाली करने के बाद लौटता था । उसके बाँस की खनक हमें नींद से जगा देती थी और हम उससे मिलने और उसका स्वागत करने के लिए दौड़ते थे । ऐसा क्यों था ? क्या वह डबल रोटी के प्रति प्रेम के कारण था ? बिल्कुल नहीं । डबल रोटी किसी पास्किन या बास्टईन के द्वारा खरीदी जाती थी , जो कि घर की नौकरानी होती थी । हम जिस चीज के लिए तड़पते थे , वे थी डबलरोटी के छल्ले , जिनका चुनाव हम सावधानीपूर्वक किया करते थे । कई बार यह विशेष प्रकार की बनी मीठी ब्रैड होती थी ।

The baker made his musical entry on the scene with the 'jhang, jhang' sound of his specially made bambbo staff. One hand suported the basket on his head and the other banged the bamboo on sdthe ground. He would greet the lady of the house with "Good morning" and then place his basket on the vertical bamboo. We kids would be pushed aside with a mild rebuke and the loaves would be delivered to the servant. But we would not give up. We would climb a bench or the parapet and peep into the basket , somehow . I can still recall the typical fragrance of those loaves. Loaves for the elders and the bangles for the children. Then we did not even care to brush our teeth or wash our mouths properly. And why should we? Who would take the trouble of plucking the mangp-leaf for the toothbrush? And why was it necessary at all? The tiger never brushed his teeth. Hot tea could wash and clean up everything so nicely, after all!

हिन्दी अनुवाद –

बेकर अपनी संगीतमय प्रवेश को अपने बाँस के स्पेशल बने हुए डंडे की ‘ झंग - झंग ' की आवाज के साथ करता था । एक हाथ से अपने सिर पर रखे टोकरे को सहारा देते हुए और दूसरे हाथ से जमीन पर बाँस को बजाते हुए । वह घर की मालकिन को ' गुड मार्निग ' कह कर अभिवादन करता और तब अपने टोकरे को उर्ध्वाकार बाँस पर रख देता था । हम बच्चे एक हल्की झिड़की के द्वारा दूर हटा दिए जाते और डबल रोटियाँ नौकरानी को दे दी जाती थीं । लेकिन हम मानने वाले नहीं थे । हम एक बेंच अथवा मुंडेर पर चढ़ जाते और किसी तरह टोकरी में झांककर देखा करते । मैं आज भी उन डबल रोटियों की विशेष महक को याद कर सकता हूँ । डबल रोटियाँ बड़ों के लिए और गोलाकार बच्चों के लिए । तब हम अपने दाँतों में ब्रुश की परवाह भी नहीं करते थे अथवा मुँह को साफ नहीं करते थे और हमें क्यों करनी चाहिए ? टूथ ब्रुश के लिए आम के पत्ते तोड़ने का कष्ट कौन उठाए ? और आखिर यह आवश्यक क्यों था ? टाइगर कभी दाँतों को ब्रुश नहीं करता । आखिर गर्म चाय सब चीजों को अच्छी तरह साफ कर देती थी ।

Marriage gifts are meaningless without the sweet bread known as the bol, jist as a party or a feast loses its charm without bread. Not enough can be said ti show how important a baker can be for a village. The lady  of the house must prepare sanddwiches on the occasion of her daughter'sengagement. Cakes and bolinhas are a must for Christmas as well as other festivals. Thus, the presence of the baker's funace in the village is absolutely essential.

हिन्दी अनुवाद –

शादी के उपहार बिना मीठे ब्रेड के जिन्हें ' बोल ' कहते हैं अर्थहीन हैं , जिस तरह से ही एक पार्टी या भोज बिना ब्रेड के रोमांच खो देती है । यह दिखाने के लिए कि एक बेकर एक गाँव के लिए कितना महत्त्वपूर्ण हो सकता है , इससे अधिक कुछ नहीं कहा जा सकता । घर की महिला को अपनी बेटी की मंगनी पर सैंडविच तैयार करने होते हैं । केक और बोलिन्हास क्रिसमस और अन्य त्यौहारों के लिए जरूरी है । इस प्रकार गाँव में बेकर की भट्ठी का होना अत्यन्त आवश्यक है ।

 The baker or bread-seller of those days had a peculiar dress known as the kabai. It was a singlepiece long frock reaching down to the knees. In our childhood we saw bakers wearing a shirt and trousers which were shorter than full-lenght ones and longer than half pants. Even today, anyone who wears a half pant which reaches just below the knees invites the comment that he is dressed like a pader!

हिन्दी अनुवाद –

उन दिनों के बेकर की एक विशेष पोशाक होती थी जिसे कबाई के नाम से जाना जाता था । यह एक पीस लम्बी फ्रॉक होती थी जो घुटनों तक पहुंचती थी । हमारे बचपन में हम बेकरों को एक शर्ट और पैंट पहने देखते थे , जो पूरी पैंट से थोड़ा छोटा और नेक्कर से लम्बा होता था और घुटनों से थोड़ा नीचे पहुंचता था । आज भी , जब कोई घुटनों से नीचे तक पहुंचने वाला नेक्कर पहनता है , तो उस पर टिप्पणी की जाती है कि वह एक पेडर की तरह की पोशाक पहने हुए है।

The baker usually collected his bills at the end of the month. Monthly accounts used to be recorded on some wall in pwncil. Baking was indeed a profitable profession in the old days. The baker and his family never starved. He, his family and his servants always looked happy and prosperous. Theeir plump physique was an open testimony to this. Even today any person with a jackfruit-like physical appearance is easily compared to a baker.

हिन्दी अनुवाद –

बेकर प्रायः महीने के अंत में अपने बिलों की उगाही करता था । महीने के हिसाब - किताब पेन्सिल से किसी दिवार पर लिख दिये जाते थे । बेकरी का धन्धा वास्तव में प्राचीन दिनों में फायदे का धंधा था । बेकर और उसका परिवार कभी भूखे नहीं मरते थे । वह , उसका परिवार उसके नौकर सदैव सुख एवं वैभवशाली दिखाई देते थे । उनका मोटा - ताजा शरीर इस बात का स्पष्ट प्रमाण था । आज भी जब कोई कटहल जैसा व्यक्ति दिखता है तो उसकी तुलना बेकर से की जाती है ।

II.

Coorg

Lokesh Abrol



Coorg is coffee country, famous for its rainforests and spices.

Midway between Mysore and the coastal town of of Mangalore sits a piece of heaven that must have drifted from the kingdom of god. This land of rolling hills is inhabited by proud race of martial men, beautiful women and wild creatures.

हिन्दी अनुवाद –

( कुर्ग एक कॉफी उगाने वाले देहात ( गाँव ) है जो वर्षा वनों और मसालों के लिए प्रसिद्ध है । )
मैसूर और तटीय कस्बे मंगलौर के बीच रास्ते में एक स्वर्ग का टुकड़ा स्थित है । जो अवश्य ही परमात्मा के साम्राज्य से हवा द्वारा उड़ाकर लाया गया होगा । इस घुमावदार पहाड़ियों की धरती पर लड़ाके लोगों की नस्लें , सुंदर औरतें तथा जंगली जीव निवास करते हैं ।

Coorg, or Kodagu, the smallest district of Karnataka, is home to evergreen rainforests, spices and coffee plantations. Evergreen rainforests cover thirty per cent of this district. During the September and continues till March.

हिन्दी अनुवाद –

कुर्ग या कोडागु , कर्नाटक का सबसे छोटा जिला , सदाबहार वर्षा जंगलों , मसालों और कॉफी बागानों का घर है । सदाबहार वर्षा वनों से इस जिले का 30 प्रतिशत भाग ढका हुआ है । मानसून के दौरान , वर्षा की बौछारें इतनी अधिक होती हैं कि बहुत से पर्यटक दूर रहते हैं । आनंद की ऋतु दिसम्बर से आरम्भ होती है और मार्च तक जारी रहती है ।

Coorgi Dress image
Traditional Coorgi dress

The weather is perfect, with some showers thrown in for good measure. the air breathes of invigorating coffe. estates and colonial bungalows stand tucked under tree canopies in prime corners. the fiercely independent people of Coorg are possibly of Greek or Arabic descent. As one story goes, a part of Alexander's army moved south along the coast and settled here when return became impractical. these peo;le married amongst the locals and their culture is apparent in the martial traditions, marriage and religious rites, which are distinct from the Hindu mainstream. The theory of Arab origin draws support from the long, black coat with and embroidered waist-belt worn by the Kodavus. Known as kuppia, it resembles the kuffia worn by the Arabs and the Kurds. 

हिन्दी अनुवाद –

पर्याप्त मात्रा में वर्षा होने के कारण मौसम बहुत अच्छा होता है हवा में ताजगी प्रदान करने में कॉफी की महक होती है । कॉफी एस्टेट उपनिवेशी बंगले पेड़ों की छतरी के नीचे एकान्त में सिमटे खड़े हैं । कुर्ग के अत्यधिक स्वतंत्र लोग संभवतः यूनानी अथवा अरबी वंशज हैं । जैसे कि एक कहानी बताती है कि सिकन्दर की सेना का एक भाग दक्षिण की ओर समुद्र तट तक आ गया था और जब उनका वापस लौटना अव्यवहारिक हो गया था , तो वे वहीं बस गए । इन लोगों ने स्थानीय लोगों से विवाह कर लिये और उनकी संस्कृति जो स्पष्ट रूप से लड़ाका परंपराओं , शादी और धार्मिक रिवाजों वाली है । जो हिन्दू मुख्य धारा से अलग हैं । कोडावु लोगों द्वारा पहने जाने वाले कमरबंद के साथ जो कुपिया के नाम से जाना जाता है , अरबियों एवं कुर्गों द्वारा पहने जाने वाले कुपिया जैसे होते हैं , जो इस सिद्धांत की पुष्टि करते हैं कि उनका स्रोत अरब है ।

Coorgi homes have a tradition of hospitality, and they are more than willing to recount numerous tales of valour related to their sons and fathers. The Coorg Regiment is one of the most decorated in the Indian Army, and the first Chief of the Indian Army, General Cariappa, was a Coorgi. Even now, Kodavus are the only eople in India permitted to carry firearms without a licence.

हिन्दी अनुवाद –

कुर्गी घरों में मेहमाननवाजी की परंपरा है और वे अपने बेटों एवं पिताओं से बहादुरी की कहानियों को सुनाने की बहुत ज्यादा इच्छा रखते हैं । कुर्ग रेजीमेंट भारतीय सेना में सर्वाधिक सुसज्जित है , और भारतीय सेना का पहला जनरल करियप्पा एक कुर्गी था । आज भी केवल कोडावु लोगों को बिना लाइसेंस के हथियार रखने की इजाजत है ।

The river, Kaveri, obtains its water from the hills and forests of Coorg. Mahaseer--- a large freshwater fish ---- abound in these waters. Kingfishers dive for their catch, while squirrels and langurs drop partially eaten fruit for the mischief of enjoying the splash and the ripple effect the clear water . Elephants enjoy being bathed and scrubbed in the river by their mahouts.

हिन्दी अनुवाद –

कावेरी नदी को इसका पानी कुर्ग की पहाड़ियों और जंगलों से प्राप्त होता है । महासीर मछली इस पानी में काफी संख्या में पाई जाती हैं । किंगफिशर पक्षी उनका शिकार करने के लिए गोते लगाता है , जबकि गिलहरियाँ और लंगूर आधे खाए हुए फल साफ पानी में पानी की आवाज और लहरों के चलने का आनंद लेने के लिए फेंकते हैं । हाथी अपने महावतों द्वारा नहलाए जाने और नदी में रगड़े जाने का आनन्द लेते हैं ।

The most laidback individuals become converts to the life of high-energy adventure with river rafting, canoeing, rappelling, rock climbing and mountain biking. Numerous walking trails in this region are a favourite with trekkers.

हिन्दी अनुवाद –

सबसे अधिक आराम में रहने वाले लोग , लकड़ी का प्लेटफार्म चलाने , लम्बी नाव खेने , ऊँची चट्टानों से नीचे उतरने , चट्टानों पर चढ़ने और पहाड़ों पर मोटरसाइकिल चलाने जैसे साहसिक काम करने वाले बन जाते हैं ।

Basket seller image
Basket-seller from Coorg

birds, bees and butterflies are there to give you company. Macaques, Mlabar squirrels, langurs and slender loris keep a watchful eye from the tree canopy. I do, however, prefer to step aside for wild elephants.

हिन्दी अनुवाद –

विभिन्न पगडंडियाँ इस इलाके में बैलगाड़ी की सवारी करने वालों की प्रिय है । वहाँ पर आपका साथ देने के लिए पक्षी , मधुमक्खियाँ और तितलियाँ हैं । मैकाक ( एक प्रकार का बंदर ) मालाबार की गिलहरियाँ , लंगूर और दुबला लोरी पक्षी पेड़ों की छतरी में से ध्यानपूर्वक चौकसी करते रहते हैं । फिर भी मैं जंगली हथियों से बचना ( दूर रहना ) पसंद करता हूँ ।

The climb to the Brahmagiri hills brings you into a panoramic view of the entire misty landscape of Coorg. A walk across the rope bridge leads to the sixty-four-acre islad of Nisargadhama. Running into Buddhist monds from Imdia's largest Tibetan settlement, at mearby Bylakuppe, is a bonus. The monks, in red, ochre amd yellow robes, are amongst the many surprises that wait to be discovered by visitors searching for the heart and soul of India, right in Coorg. 

हिन्दी अनुवाद –

ब्रह्मगिरी पहाड़ियों पर चढ़ने से कुर्ग की धुंध से पूर्ण धरती का नजारा दिखाई देता है । रस्सियों के पुल पर चलकर चौंसठ एकड़ का निसारगधामा टापू आता है । बिलाकुपे के आस - पास , भारत की सबसे बड़ी तिब्बती लोगों की बस्ती तथा बौद्ध भिक्षुकों से मिलने का अलग लाभ ( फायदा ) होता है । लाल गेरूए और पीले कपड़े पहने हुए भिक्षुक अनेकों अजूबों में से एक हैं जो उन यात्रियों के द्वारा पाए जाने का इन्तजार करते हैं जो भारत के दिल और आत्मा को ठीक यहाँ कुर्ग में तलाशते हैं ।

III.

Tea from Assam

Arup Kumar Dutta



Pranjol, a youngster from assam, is Rajuir's classmate at school in Delhi, Pranjol's father is the manager of a tea-garden in Upper Assam and Pranjol has inuited Rajuir to uisit his home during the summer uacation.

Chai-Garam...garam-chai," a vendor called out in a high-pitched voice. He came up to their window and asked,"Chai,sa'ab?" 

"Give us two cups," Pranjol said. 

They sipped the steaming hot liquid. Almost everyone in their compartment was drinking tea too. 

"Do you know that oer eighty crore cups of tea are drunk every day throughout the world?" Rajvir said. 

"Whew!" exclaimed Pranjol. "Tea really is very popular." 

The train pulled out of the station. Pranjol buried his nose in his detective book again. Rajvir too was an ardent fan of detective stories, but at the moment he was keener on looking at the beautiful scenery. It was green, green everywhere. Rajvir had never seen so much greenery before. Then the soft green paddy fields gave way to tea bushes.

हिन्दी अनुवाद –

" चाय - गरम ... गरम चाय " एक चाय वाला ऊँची आवाज में चिल्लाया वह उनकी खिड़की तक आया और पूछा , “ चाय साहब "
   " हमें दो कप दे दो " प्रांजल ने कहा ।
  उन्होंने गरम चाय की चुस्कियां लीं । उनके डिब्बे में प्रत्येक व्यक्ति चाय पी रहा था ।
   " क्या तुम जानते हो कि संसार में प्रतिदिन अस्सी करोड़ कप चाय पी जाती है ? राजवीर ने कहा । प्रांजल ने आश्चर्य व्यक्त किया । " " चाय वास्तव में ही बहुत लोकप्रिय है । "
  ट्रेन स्टेशन से बाहर निकली । प्रांजल ने फिर से जासूसी पुस्तक पढ़ना शुरू कर दिया राजवीर भी जासूसी कहानियाँ पढ़ने का शौकीन था परन्तु इस क्षण वह बाहर का सुन्दर दृश्य देखना चाहता था ।
   सभी जगह हरियाली थी । राजवीर ने उतनी हरियाली पहले कभी नहीं देखी थी । तब हरे धान के खेतों की जगह चाय की झाड़ियों ने ले ली थी ।

It was a magnificent view. Against the backdrop of densely wooded hills a sea of tea bushes stretched as far as the eye could see. Dwarfing the tiny tea plants were tall sturdy shade-trees and amidst the orderly rows of bushes busily moved doll-like figures. In the distance was an ugly building with smoke billowing out of tall chimneys.

 “Hey, a tea garden!” Rajvir cried excitedly.

Pranjol, who had been born and brought up on a plantation, didn’t share Rajvir’s excitement.

 “Oh, this is tea country now,” he said. “Assam has the largest concentration of plantations in the world. You will see enough gardens to last you a lifetime!”

हिन्दी अनुवाद –

एक भव्य दृश्य था। गौरी जंगलों वाली पहाड़ियों की पृष्ठभूमि में चाय की झाड़ियां फैली हुई थी। जहां तक आंखें देख सकती थी। छोटे चाय के पौधों को बौने ठहराते लंबे छायाकार पेड़ थे और चाय की झाड़ियों की सीधी पंक्तियों के मध्य में व्यस्तता से घूमती हुई गुड़ियों जैसी आकृतियाँ दिखाई देती थीं । दूर एक भद्दी सी बिल्डिंग थी जिसमें चिमनियों में से धुंआ बाहर निकल रहा था ।
   " हे , एक चाय बागान । " राजवीर उत्तेजना में चिल्लाया ।
  प्रांजल , जो एक बागान में जन्मा और पला था , उसने राजवीर की उत्तेजना में हिस्सा नहीं लिया ।
  उसने कहा “ ओह , यह चाय का देश है अब । " असम में संसार के सबसे अधिक बागानों की सघनता है । आपको यहाँ इतने अधिक बागानों की सघनता दिखाई देगी जितने अधिक आपको उम्र भर तक दिखाई देगें ।

 “I have been reading as much as I could about tea,” Rajvir said. “No one really knows who discovered tea but there are many legends.”

 “What legends?” 

“Well, there’s the one about the Chinese emperor who always boiled water before drinking it. One day a few leaves of the twigs burning under the pot fell into the water giving it a delicious flavour. It is said they were tea leaves.”

हिन्दी अनुवाद –

मैं चाय के बारे में इतना पढ़ता रहा हूँ जितना मैं पढ़ सकता था ।
   " राजवीर ने कहा , “ वास्तव में कोई नहीं जानता कि चाय की खोज किसने की थी , परन्तु इसके बारे में अनेकों कहानियाँ हैं । "
   " कौन सी कहानियाँ ? "
   “ एक है चीन के सम्राट के बारे में , जो हमेशा पानी पीने से पहले पानी को उबालता था । एक दिन बर्तन के नीचे जलती हुई टहनियों के कुछ पत्ते उबलते हुए पानी में गिर गए , जिससे पानी स्वादिष्ट बन गया । यह कहा जाता है कि वे चाय के पत्ते थे ।

 “Tell me another!” scoffed Pranjol.

 “We have an Indian legend too. Bodhidharma, an ancient Buddhist ascetic, cut off his eyelids because he felt sleepy during meditations. Ten tea plants grew out of the eyelids. The leaves of these plants when put in hot water and drunk banished sleep.

 “Tea was first drunk in China,” Rajvir added, “as far back as 2700 B.C.! In fact words such as tea, ‘chai’ and ‘chini’ are from Chinese. Tea came to Europe only in the sixteenth century and was drunk more as medicine than as beverage.” 

हिन्दी अनुवाद –

" मुझे दूसरी सुनाओ " प्रांजल ने उपहास किया ।
   " हमारे पास एक भारतीय कहानी भी है । बोधीधर्मा , जो एक प्राचीन बौद्ध महात्मा था ने अपनी आँख की पलकें काट दी थीं क्योंकि वह ध्यान के समय नींद महसूस करने लगा था । दस चाय के पौधे उसकी पलकों पर उग आए । इन पौधों के पत्तों को पानी में उबालकर पीया गया था और उससे नींद गायब हो गयी थी ।
  " चाय सबसे पहले चीन में पी गई थी " , राजवीर ने कहा , " 2700 ईस्वी पूर्व ! " वास्तव में ' टी ' शब्द चीनी भाषा के ' चाई और ' चीनी ' शब्द से निकला है । यूरोप में चाय केवल 16 वीं शताब्दी में आई थी और इसको एक पेय की अपेक्षा दवा के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता था ।

The train clattered into Mariani junction. The boys collected their luggage and pushed their way to the crowded platform.

 Pranjol’s parents were waiting for them. 

Soon they were driving towards Dhekiabari, the tea-garden managed by Pranjol’s father . 

An hour later the car veered sharply off the main road. They crossed a cattle-bridge and entered Dhekiabari Tea Estate.

हिन्दी अनुवाद –

रेलगाड़ी खड़खड़ाती हुई मरियानी जंक्शन पहुंची । लड़कों ने अपना सामान इकट्ठा किया और भीड़ भरे प्लेटफार्म पर अपना रास्ता बनाया ।
  प्रांजल के माता - पिता उनका इन्तजार कर रहे थे ।
  शीघ्र ही वे देकियाबाड़ी की तरफ यात्रा कर रहे थे , जहाँ पर प्रांजल के पिता का चाय बागान था ।
   एक घण्टा बाद कार मेन रोड पर से मुड़ी । उन्होंने मवेशियों के पुल को पार किया और देकियाबाड़ी चाय बागान में पहुंच गये ।

 On both sides of the gravel-road were acre upon acre of tea bushes, all neatly pruned to the same height. Groups of tea-pluckers, with bamboo baskets on their backs, wearing plastic aprons, were plucking the newly sprouted leaves.

Pranjol’s father slowed down to allow a tractor, pulling a trailer-load of tea leaves, to pass. 

“This is the second-flush or sprouting period, isn’t it, Mr Barua?” Rajvir asked. “It lasts from May to July and yields the best tea.”

 “You seem to have done your homework before coming,” Pranjol’s father said in surprise.

 “Yes, Mr Barua,” Rajvir admitted. “But I hope to learn much more while I’m here.”

हिन्दी अनुवाद –

पथरीले रोड के दोनों ओर चाय के पौधों से भरे कई एकड़ खेत थे , सभी पौधों की ऊंचाई एक जैसी काट - छाँटकर की गयी थी । चाय चुनने वाली औरतों के समूह अपनी पीठ पर बांस की टोकरियाँ लिए , प्लास्टिक का लाबादा पहने हुए , नए फूटे हुए पत्तों को चुन रही थीं ।
  प्रांजल के पिता ने गाड़ी की गति धीमी की ताकि एक ट्रैक्टर गुजर सके , जो ट्रेलर भर कर चाय के पत्ते ले जा रहा था ।
  " यह दूसरा कोपलों के फूटने का समय है , है - ना , मिस्टर बरूआ ? " राजवीर ने पूछा " । यह मई से जुलाई तक समाप्त होता है । और सबसे अच्छी चाय की फसल प्रदान करता है ।
   " ऐसा लगता है कि तुमने आने से पहले अपना होमवर्क कर लिया था , प्रांजल के पिता ने आश्चर्य से कहा । "
  " हाँ , श्रीमान् बरूआ , " राजवीर ने स्वीकार किया । “ लेकिन मुझे उम्मीद है कि मैं यहाँ रहते हुए कहीं ज्यादा सीख जाऊँगा । "