A Letter to God

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A Letter to God

G.L. Fuentes


Summary in English

Lencho was a hard working farmer. He was poor. His house was the only one in the entire valley on the top of a hill. He could see his fields from there. He was expecting a good harvest. The land needed a downpour or at least a shower.

During the meal, just as Lencho had predicted, big drops of rain began to fall. Lencho was overjoyed. He went out to feel the pleasure of rain. Lencho called the drops new coins. But suddenly large hailstones began to fall. It hailed for an hour. His harvest had destroyed by the hailstorm.

Lencho had firm faith in God. He would not let your family die of hunger. So he wrote a letter to God. He wrote, “God, if you don't help me, my family and I will go hungry this year. I need a hundred pesos for sustenance.”

He wrote “to God” on the envelope and dropped it into the mailbox.

A postman showed the letter to the postmaster. He was very much impressed by the faith of the man who had written the letter addressed to God. He tapped the letter. He came to know that the writer had demanded one hundred pesos. He decided to help Lencho. He asked for money from his employees. He himself gave part of his salary. He could collect only seventy pesos. He put the money in an envelope. He addressed the letter to Lencho.

He wrote the sender’s name as ‘from God.’

When Lencho came to the post office to check his mail, the postman himself handed over the letter to him. Postmaster was watching everything.

Lencho opened the envelope and counted the money. He became angry because the money was less than he had asked for. Immediately, Lencho went up to the window to ask the paper and ink.

He wrote another letter to God to send him the rest of money. But he asked God not to send the money through the mail because according to him the post office employers were a bunch of crooks.

Summary in Hindi

लेंचो कठिन परिश्रम करने वाला एक किसान था। पहाड़ी की चोटी पर सम्पूर्ण घाटी में उसका अकेला घर था। वह वहाँ से अपने खेत देख सकता था । वह अच्छी फसल की उम्मीद कर रहा था । भूमि को केवल एक भारी वर्षा की अथवा कम से कम एक बौछार की आवश्यकता थी ।

भोजन के समय , ठीक जैसा लेंचो का पूर्वानुमान था , वर्षा की बड़ी - बड़ी बूंदें गिरने लगी । लेंचो बहुत खुश हुआ । वह वर्षा का आनंद लेने के लिए बाहर गया । लेंचो ने बूंदों को नए सिक्के कहा । लेकिन अचानक बड़े - बड़े ओले गिरने लगे । ये एक घंटे तक गिरे । उसकी फसल ओलावृष्टि से नष्ट हो चुकी थी ।

लेंचो को ईश्वर में दृढ विश्वास था । वह अपने परिवार को भूखा नहीं मरने देगा । इसलिए उसने भगवान को एक पत्र लिखा । उसने लिखा “ भगवान , यदि तुम मेरी सहायता नहीं करोगे , तो मेरा परिवार और मैं इस वर्ष भूखे रह जाएँगे । मुझे जीविका के लिए एक सौ पीसों की आवश्यकता है । '' उसने लिफाफे पर लिखा ' ईश्वर के लिए ' और उसे पत्र - पेटी में डाल दिया ।

एक डाकिये ने यह पत्र पोस्टमास्टर को दिखाया । वह उस व्यक्ति के विश्वास से बहुत प्रभावित हुआ , जिसने ईश्वर को संबोधित करते हुए यह पत्र लिखा था । उसने पत्र खोला । उसे पता चला कि लिखने वाले ने एक सौ पीसों की माँग की है । वह लेंचो की सहायता करने का फैसला करता है । उसने अपने कर्मचारियों से धन माँगा । उसने स्वयं भी अपने वेतन का एक अंश दिया । वह केवल सत्तर पीसों ही इकट्ठे कर पाया । उसने धन को लिफाफे में रखा । उसने पत्र में लेंचो का पता लिखा । उसने पत्र उसने भेजने वाले का नाम ' ईश्वर ' लिखा ।

जब लेंचो अपनी डाक देखने डाकघर आया तो डाकिये ने स्वयं वह पत्र लेंचो को दिया । पोस्टमास्टर सब कुछ देख रहा था ।

लेंचो ने लिफाफा खोला और धन को गिना । वह नाराज हो गया क्योंकि जितना धन उसने माँगा था वह उससे कम था । तुरंत ही वह कागज और स्याही माँगने खिड़की पर गया ।

उसने बाकी धन भेजने के लिए भगवान को दूसरा पत्र लिखा । किंतु उसने भगवान से डाक द्वारा धन न भेजने के लिए कहा क्योंकि उसके अनुसार डाकघर के कर्मचारी ठगों के समूह थे ।

Hindi Explanation

The house the only one in the entire valley sat on the crest of a low hill. From this height one could see the river and the field of ripe corn dotted with the flowers that always promised a good harvest. The only thing the earth needed was a downpour or at least a shower. Throughout the morning Lencho-who knew his fields intimately had done nothing else but see the sky towards the north-east.

हिन्दी अनुवाद

वह मकान जो एक नीची पहाड़ी की चोटी पर स्थित था और यह पूरी घाटी में अकेला स्थित था। इस ऊँचाई से कोई भी नदी और पके धान के खेतों को फूलों से लदे हुए देख सकता था, जो एक अच्छी फसल का सदा वायदा करते थे। पृथ्वी को केवल एक वर्षा अथवा कम से कम एक बौछार की आवश्यकता थी। सारी सुबह लैंचो, जो अपने खेतों को नजदीक से जनता था उत्तर पूर्व दिशा में आकाश की ओर देखते रहने के सिवाय कुछ नहीं किया था।

"Now we're really going to get some water, woman."

The woman who was preparing supper, replied, "Yes, God willing". The older boys were working in the field, while the smaller ones were playing near the house until the woman called to them all. "Come for dinner" .It was during the meal that, just as lencho had predicted, big drops of rain began to fall. In the north-east huge mountains of clouds could be seen approaching. The air was fresh and sweet. The man went out for no other reason than to have the pleasure of feeling the rain on his body and when he returned he exclaimed. "These aren't raindrops falling from the sky they are new coins. The big drops are ten cent pieces and the little ones are fives."

"अब हमें वास्तव में ही कुछ पानी प्राप्त होगा, औरत।"

वह औरत जो रात का खाना तैयार कर रही थी, ने जवाब दिया, "हां, परमात्मा ने चाहा तो।" बड़ी उम्र के लड़के खेत में काम कर रहे थे, जबकि छोटे अपने घर के समीप खेल रहे थे, तब उस औरत ने उन सबको नहीं बुलाया "खाने के लिये आ जाओ।" खाने के समय, बिल्कुल जैसे ही लैंचो ने भविष्यवाणी की थी, वर्षा की बडी-बड़ी बूंदों का गिरना शुरू हो गया। उत्तर-पूर्व दिशा में बादलों के विशाल पर्वत आते हुए देखे जा सकते थे। हवा ताजी और मधुर थी। वह व्यक्ति अपने शरीर पर वर्षा के आनन्द का अनुभव करने के लिए बाहर गया , और जब वह वापस लौटा तो उसने एकदम कहा, "ये आकाश से गिरती हुई पानी की बूंदे नहीं हैं, ये नए सिक्के हैं। वर्षा की बड़ी बूंदे दस सैंट तथा छोटी बूंदे पांच सेंट के सिक्के हैं।"

With a satisfied expression he regarded the field of ripe corn with its flowers, draped in a curtain of rain. But suddenly a strong wind began to blow and along with the rain very large hailstones began to fall. These truly did resemble new silver coins. The boys, exposing themselves to the rain, ran out to collect the frozen pearls.

‘‘It’s really getting bad now,’’ exclaimed the man. “I hope it passes quickly.” It did not pass quickly. For an hour the hail rained on the house, the garden, the hillside, the cornfield, on the whole valley. The field was white, as if covered with salt.

संतुष्टिपूर्ण भाव से उसने पके अनाज को इसके फूलों के खेतों में देखा, वर्षा के आवरण से ढके हुए। लेकिन अचानक एक तेज हवा बहने लगी और वर्षा के साथ बड़े-बड़े ओले गिरना शुरू हो गए। ये वास्तव में ही नये चाँदी के सिक्कों से मिलते-जुलते थे। लड़के वर्षा में भीगते हुए जमी हुई मोतियों को इकट्टा करने के लिये बाहर दौड़े।

"यह अब वास्तव में बुरा हो रहा है" उस आदमी ने कहा। "मुझे आशा है यह शीघ्र ही गुजर जायगें।" यह शीघ्र ही समाप्त नहीं हुआ । एक घण्टे तक ओलों की वर्षा घर, बगीचे, पहाड़ी की तलहटी, अनाज, के खेत तथा सम्पूर्ण घाटी में आधा घण्टे तक होती रही। खेत सफेद हो गया जौसे वह नामक से ढका हुआ हो।

Not a leaf remained on the trees. The corn was totally destroyed. The flowers were gone from the plants. Lencho’s soul was filled with sadness. When the storm had passed, he stood in the middle of the field and said to his sons, “A plague of locusts would have left more than this. The hail has left nothing. This year we will have no corn.’’ That night was a sorrowful one. “All our work, for nothing.” ‘‘There’s no one who can help us.” “We’ll all go hungry this year.

पेड़ो पर एक भी पत्ती नहीं बची। धान की खेती पूर्ण रूप से बर्बाद हो गई। लैंचों के खेत, फूल, पौधों से गिर गए। लैंचों की आत्मा उदासी से भर गई। जब तूफान समाप्त हुआ तो वह अपने खेत के बीच में खड़े होकर उसने अपने पुत्रों से कहा, "एक टिड्डी दल भी इससे ज्यादा पीछे छोड़ देती परन्तु ओलावृष्टि ने कुछ नहीं छोड़ा है। इस वर्ष हमें बिना अनाज के रहना पड़ेगा।" वह एक दु:खद रात थी। "हमारी सारी मेहनत व्यर्थ चली गई।" "ऐसा कोई `व्यक्ति नहीं जो हमारी सहायता कर सके, "इस वर्ष हम सबको भूखा रहना पड़ेगा।"

Lencho in field


But in the hearts of all who lived in that solitary house in the middle of the valley, there was a single hope: help from God.

“Don’t be so upset, even though this seems like a total loss. Remember, no one dies of hunger.”

All through the night, Lencho thought only of his one hope: the help of God, whose eyes, as he had been instructed, see everything, even what is deep in one’s conscience. Lencho was an ox of a man, working like an animal in the fields, but still he knew how to write. The following Sunday, at daybreak, he began to write a letter which he himself would carry to town and place in the mail. It was nothing less than a letter to God.

लेकिन उस घाटी के मध्य में उस एकांत मकान में रहने वालों के सभी दिलों में केवल मात्र एक आशा थी, परमात्मा से आशा । "इतना अधिक मत घबराओ, यद्द्पि यह एक पूर्ण विनाश की भांति प्रतीत होता है। याद रखो, कि भूख से कोई नहीं मरता।" "लोग यही बात कहते हैं कोई भूख से नहीं मरता।"

सारी रात भर लैंचो अपनी एक आशा के बारे में ही सोचता रहा। परमात्मा की सहायता की आशा, जिसकी द्र्ष्टि, जो कि व्यक्ति की अंतरात्मा की भाँति सर्वत्र रहती है। लैंचो खेतों में बैल की भातिं सख्त मेहनत किया करता था। लेकिन फिर भी वह लिखना जनता था। अगले रविवार को, सवेरे, उसने एक पत्र लिखना शुरू किया जिसे वह स्वयं कस्बे में लेकर गया इसे डाक में डाल दिया । वह परमात्मा को लिखे गय पत्र से कम कुछ भी नहीं था।

“God,” he wrote, “if you don’t help me, my family and I will go hungry this year. I need a hundred pesos in order to sow my field again and to live until the crop comes, because the hailstorm....”

उसने लिखा, "परमात्मा, यदि तुम मेरी सहायता नहीं करोगे, तो मेरा परिवार और मैं इस वर्ष भूखे रहेंगे। मुझे अपने खेत को फिर से बोने के लिए तथा अगली फसल पकने तक जीवित रहने के लिए, मुझे एक सौ पेसोस की जरूरत है क्योंकि ओलावृष्टि ने...?"

He wrote ‘To God’ on the envelope, put the letter inside and, still troubled, went to town. At the post office, he placed a stamp on the letter and dropped it into the mailbox.

One of the employees, who was a postman and also helped at the post office, went to his boss laughing heartily and showed him the letter to God. Never in his career as a postman had he known that address. The postmaster — a fat, amiable fellow — also broke out laughing, but almost immediately he turned serious and, tapping the letter on his desk, commented, “What faith! I wish I had the faith of the man who wrote this letter. Starting up a correspondence with God!”

उसने लिफाफे पर लिखा, 'परमात्मा को' पत्र को लिफाफे में डाला और कस्बे में गया। डाक घर पर उसने पत्र पर स्टांप लगाई और इसे मेल बॉक्स में डाल दिया।

डाकघर का एक कर्मचारी जो डाकिया था और डाकघर में सहायता भी करता था, खुले दिल से हंसते हुए अपने बॉस के पास गया और उसने परमात्मा के नाम लिखे गए पत्र को दिखाया। एक डाकिया के रूप में अपनी नौकरी के दौरान उसने कभी भी यह पता नहीं देखा। पोस्टमास्टर, जो एक मोटा, मैत्रीपूर्ण एवं खुशमिजाज (सज्जन) व्यक्ति था, पत्र को देखकर जोर से हंसा लेकिन शीघ्र ही वह गंभीर हो गया और पत्र को उसने अपने डेस्क पर थपथपाते हुए, "क्या अद्भुत विश्वास है। काश कि इस पत्र लेखक की भांति ही परमात्मा में मेरी अडिग आस्था होती। उस व्यक्ति का परमात्मा में और एक विश्वास था कि उसने परमात्मा से पत्र व्यवहार करना शुरू किया है।"

So, in order not to shake the writer’s faith in God, the postmaster came up with an idea: answer the letter. But when he opened it, it was evident that to answer it he needed something more than goodwill, ink and paper. But he stuck to his resolution: he asked for money from his employees, he himself gave part of his salary, and several friends of his were obliged to give something ‘for an act of charity’.

It was impossible for him to gather together the hundred pesos, so he was able to send the farmer only a little more than half. He put the money in an envelope addressed to Lencho and with it a letter containing only a single word as a signature: God.

इसलिए पत्र लेखक का परमात्मा पर विश्वास ना डगमगा जाए,पपोस्ट मास्टर के दिमाग में एक विचार आया कि उस पत्र का उत्तर दिया जाए। लेकिन जब उसने पत्र को खोला, यह स्पष्ट हो गया कि इस पत्र में उत्तर देने के लिए नेक भावना से अधिक कुछ अन्य चीज की आवश्यकता थी। लेकिन वह अपने निश्चय पर अडिग रहा; उसने अपने कर्मचारियों से पैसे देने के लिए कहा, उसने स्वयं ने भी कुछ तनख्वाह का अंश दिया और उसके अनेकों दोस्तों ने भी ' इस नेक दान सिलता के कार्य में कुछ न कुछ दिया। '

उसके लिए एक सौ पेसोस का धन एकत्रित करना असंभव था, इसलिए वह उस किसान को आधे से थोड़ा ज्यादा धन भेजने योग्य हो पाया। उसने धान को एक लिफाफे में रखा और लिफाफे पर लेंचो का पता लिखा और धन के साथ एक पत्र भी उसने डाल दिया। जिस पर केवल एक शब्द हस्ताक्षर के रूप में लिखा गया था : परमात्मा।

The following Sunday Lencho came a bit earlier than usual to ask if there was a letter for him. It was the postman himself who handed the letter to him while the postmaster, experiencing the contentment of a man who has performed a good deed, looked on from his office.

Lencho showed not the slightest surprise on seeing the money; such was his confidence — but he became angry when he counted the money. God could not have made a mistake, nor could he have denied Lencho what he had requested.

अगले रविवार को वह अन्य दिनों की तुलना में यह पता लगाने के लिए थोड़ा जल्दी आया कि क्या उसका कोई पत्र था। या स्वयं डाकिया था जिसने उसे पत्र दिया था, जबकि पोस्टमास्टर एक नेक कार्य करने वाले व्यक्ति की संतुष्टि का अनुभव करते हुए अपने दफ्तर से देख रहा था।

लेंचों ने धान को देखकर जरा सी भी हैरानी प्रदर्शित नहीं की; ऐसी उसकी दृढ़ आस्था थी। लेकिन जब उसने पेसोज की गिनती की तो वह क्रोधित हो गया। परमात्मा गलती कर ही नहीं सकता, ना ही वह उसकी प्रार्थना को स्वीकार करने से मना कर सकता था।

Immediately, Lencho went up to the window to ask for paper and ink. On the public writing-table, he started to write, with much wrinkling of his brow, caused by the effort he had to make to express his ideas. When he finished, he went to the window today buy a stamp which he licked and then affixed to the envelope with a blow of his fist.

Lencho in Post-office

 The moment the letter fell into the mailbox the postmaster went to open it. It said: “God: Of the money that I asked for, only seventy pesos reached me. Send me the rest, since I need it very much. But don’t send it to me through the mail because the post office employees are a bunch of crooks. Lencho.”

शीघ्र ही लैंचो खिड़की पर कागज और स्याही मांगने के लिए गया। आम जनता की लेखन टेबल पर, उसने लिखना शुरू किया उस समय उसके माथे पर सरवटे थी, जो कि अपने विचारों को व्यक्त करने के प्रयत्न के कारण प्रकट हुई थी। जब उसने लिखना समाप्त किया, तब वह स्टैंप खरीदने के लिए खिड़की पर गया, जिसे चाट कर उसे लिफाफे पर हथेली मार कर लगा दी। जिस क्षण पत्र मेल बॉक्स में गिरा, पोस्टमास्टर इसे खोलने के लिए गया। पत्र में लिखा था, "परमात्मा, वह दान जी से मैंने आपसे मांगा था, उसमें से केवल 70 पेसोस ही मेरे पास पहुंचा। बकाया धन मुझे भेजें क्योंकि मुझे इसकी बहुत ज्यादा जरूरत है। लेकिन इसे मेरे पास डाक द्वारा ना भेजें क्योंकि पोस्ट- ऑफिस के कर्मचारी ठगों का एक समूह हैं, लैंचों।"